Sunday, 8 May 2016

अम्मा!

 
बड़ी विचित्र सी बात है, यदि आप "amma" गूगल करें तो सबसे पहला लिंक जो आता है वह है "amma.org".  सच कहूँ तो ऐसा कोई लिंक देख कर चेहरे पर एक बड़ी ही स्नेहिल सी मुस्कान गयी, वैसी ही जैसी एक स्नेहसिक्त माँ के चेहरे पर होती है, अपनी संतान को देख कर. किन्तु यह हार्दिक प्रसन्नता क्षणिक ही सिद्ध हुई. 

लिंक पर क्लिक किया तो ज्ञात हुआ की ये वो वाली अम्मा नहीं हैं जो हमारे-आपके घरों में होती हैं, या यूं कहें, जिस अम्मा नामक धूरि पर हमारा घर संसार घूम रहा होता है. यह तो कोई पूर्ण रूप से प्रचारित - प्रसारित महिला पर केंद्रित वेबसाइट थी. कौतुहल वश आगे पढ़ा तो समझा की यहाँ किसी संत-रूपी महिमामयी महिला को "अम्मा" कह कर सम्बोधित किया जा रहा है. और साइट के अनुसार ऐसा करने का उनका कारण था, "She is known throughout the world as Amma or Mother, for her selfless love and compassion toward all beings. 

चलो स्पष्टीकरण तो  ठीक-ठाक है,  हमारी अपनी वाली अम्मा से मेल खाता हुआ. फिर अम्मा शब्द पर हमारा कॉपीराइट तो है नहीं, की हम बुरा मान जाएँ. अब भई जिसको जिससे जो वाली फ़ीलिंग आयी उसने उसे वैसे ही पुकार लिया.   हाँ मुझे अवश्य एक अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हुई - या किंचित यह एक सार्वभौमिक सत्य था जिससे मैं अब अवगत हुई - आतंरिक अनुभूती ही सम्बोधन की जननी है !
जननी शब्द सुनते ही बचपन में कहीं पढ़ी हुई एक पंक्ति याद आती है, "निराशा ही आशा की जननी है." इस गूढ़ रहस्य को मैंने अपने विद्यार्थी जीवन में उद्धरण के तौर पर अनेको-अनेक बार प्रयोग किया।  

"जननी" से याद आया चर्चा तो यहां "हमारी जननी" की करनी थी और हम दिग्भ्रमित हो गए किसी उच्च  कोटि के दर्शन शास्त्र की ओर ! अम्मा पर लेख लिख रहे थे और सुकरात और प्लेटो और कन्फ्यूशियस में भटक कर आपको भी  कन्फ्यूज़ करने लगे. 

आपने देखा, आज  सोशल मीडिया सभी आकार एवं प्रकार के करुणामयी, ममतामयी, वात्सल्यमयी, और  भी कई प्रकार की मई (अब महीना ही मई का है भई!), से ओत - प्रोत है. मज़े की बात यह है की जो लोग बढ़-बढ़ कर अपनी माँ को "हैप्पी मदर्स डे" विश कर रहे हैं, उनकी मातायें सोशल  मीडिया पर तो छोड़िए, बहुत हद तक सोशल भी नहीं हैं.  ख़ैर हमें लक़ीर का फ़क़ीर हो कर भावनाओं को समझने का प्रयत्न करना चाहिए, है ?

हमारी मुख्य उलझन यह है की इनमें से एक भी व्यक्ति ने अपनी माँ से बचपन (आशा है अब यह सुअवसर नहीं आते) में प्राप्त डाँट-फटकार अथवा मार का कोई उल्लेख ही नहीं किया! क्या इसका तात्पर्य यह है की यह सभी व्यक्ति-विशेष आजीवन अपनी माताजी द्वारा निर्मित इन सुस्वादु व्यंजनों की प्राप्ति से वंचित रह गए?  या इन्होनें "गुड मेमोरीज़ कोट्स" की ऎसी घुट्टी बना कर पी ली है की किसी प्रकार की कटु-स्मृति से दूरी बनाये रहते हैंवैसे तो माँ की डाँट-फटकार का "कटु-यादों" की श्रेणी में आना ही स्वयं में एक विवादास्पद मुद्दा है, किन्तु उधर का रूख़ करना यानि टॉपिक से भटकना, अतः फिर कभी. 

तो आज के इस "हैप्पी मदर्स डे " नामक दिवस की शुरुआत ही व्हाट्सऐप के सभी ग्रूप्स मेंअति उत्साहित सदस्यों द्वारा, "तनिक असावधानी और अधिक अज्ञानता" के कारणवशनिदा फ़ाज़ली, मुनव्वर राणा, जगदीश व्योम आदि की प्रसिद्ध पंक्तियों के  विकृत रूपकॉपी-पेस्ट होते देख कर हुई. कवियों की महान रचनाओं को इन निडर योद्धाओं द्वारा ऎसी सद्गति प्राप्त होते देख कर मुझे नानी तो नहीं लेकिन माँ अवश्य याद गयीं।  माँ से याद आया यह आलेख तो  हमारी वाली "अम्मा" से सम्बंधित था और मैं  व्हाट्सऐप की रणभूमि में कॉपी पेस्ट से लैस योद्धाओं की यश-गाथा  ले कर  बैठ गयी. 

चलिए फिर हमारी अम्मा की ही बात करें। अब उनकी चर्चा यहाँ करने के के लिए सर्वप्रथम आज के दिन उनसे  कुछ वार्तालाप होना परम आवश्यक है. किन्तु वह तो इस समयसात समुन्दर पार, "मीठे - सपनों - की - गुड नाइट - ड्रीम" वाली नींद का आनंद ले रही होंगी।  ऐसे में, मात्र एक आलेख की पूर्ति हेतु, उनकी नींद में खलल डाल कर, उनके सुप्तावस्था की पूर्णाहुति देना, कहाँ से न्यायोचित है भला?

आप  तब तक ऐसा करें कविवर आलोक श्रीवास्तव वाली "अम्मा" का चित्रण देखें।  मेरी अम्मा का वक्तव्य फिर कभी। 


चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नज़र पर छाई अम्मा
सारे घर का शोर-शराबा, सूनापन, तन्हाई अम्मा

उसने ख़ुद को खोकर मुझमें एक नया आकार लिया है
धरती, अम्बर, आग, हवा, जल जैसी ही सच्चाई अम्मा

घर के झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई अम्मा

सारे रिश्ते- जेठ-दुपहरी, गर्म-हवा, आतिश, अंगारे,
झरना, दरिया, झील, समन्दर, भीनी-सी पुरवाई अम्मा

बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक्सीम हुईं, तो-
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा


For audio version, click here:
https://soundcloud.com/fursatnaama/amma-a-satire-by-fursatnama


©Fursatnama


    (Above picture taken from pinterest; for illustration purpose only}

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