Monday 6 June 2016

"मरुस्थल" - चार दृश्य

~  फ़ुर्सतनामा

                                                               

[१]

हम स्वर्ण बिंदु सम रेतीले कण,

तरसे हैं हरदम जल को।

आशा-तृष्णा की माया में

भ्रमित आज, भूले कल को। 



We, not our possessions, have the power to make us happy or unhappy today.

#तृष्णा #Desire 


[२]

यह बंजर शुष्क मरुस्थल ही है

अपना ममतामयी निवास 

नहीं सघन वृक्ष की छाया  

ना ही पुष्प-दलों की आस।

 

Too much good fortune can make you smug and unaware.

#संतोष  #Contentment


[३]

रेगिस्तान का यही सौंदर्य, 

दृढ़ संकल्प, और विश्वास -

गहराई में निहित कहीं है 

कुआँ तरल, ले रहा साँस!



What makes the desert beautiful is that somewhere it hides a well.

#आशा #Hope 

[४]


नदी पेड़ पर्वत जंगल सब 
भेंट चढ़ गये, हुआ विकास 
स्व-निर्मित इक मरुभूमि में 
मनुष्य जी रहा, ले निश्वास। 



Modern cities are the great stone deserts.

#ConcreteDeserts 



©Fursatnama




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