~ फ़ुर्सतनामा
[१]
हम स्वर्ण बिंदु सम रेतीले कण,
तरसे हैं हरदम जल को।
आशा-तृष्णा की माया में
भ्रमित आज, भूले कल को।
यह बंजर शुष्क मरुस्थल ही है
अपना ममतामयी निवास
नहीं सघन वृक्ष की छाया
Too much good fortune can make you smug and unaware.
#संतोष #Contentment
[३]
रेगिस्तान का यही सौंदर्य,
दृढ़ संकल्प, और विश्वास -
गहराई में निहित कहीं है
कुआँ तरल, ले रहा साँस!
What makes the desert beautiful is that somewhere it hides a well.
#आशा #Hope
[४]
नदी पेड़ पर्वत जंगल सब
भेंट चढ़ गये, हुआ विकास
स्व-निर्मित इक मरुभूमि में
मनुष्य जी रहा, ले निश्वास।
Modern cities are the great stone deserts.
#ConcreteDeserts
©Fursatnama
No comments:
Post a Comment