Tuesday, 8 November 2016

आख़री हिचकी ~ फ़ुर्सतनामा




सबके नोटों को भजाना चाहते हैं, 
हज़ार-पाँच सौ को हटाना चाहते हैं। 

यूँ अचानक बैन नोटों पर लगाकर,
ब्लैक को वाइट बनाना चाहते हैं।

छा रहा है पूँजीपतियों पर अँधेरा,
कैसे भी, काला धन बचाना चाहते हैं।

आख़री हिचकी जाली नोटों की आयी - 
मौत भी उनकी शायराना चाहते हैं। 


~ फ़ुर्सतनामा 


©Fursatnama 
 
***एनी रिसेम्ब्लेंस टू क़तील शिफ़ाई'स ग़ज़ल इज़ प्योरली इन्टेंशनल। 

No comments:

Post a Comment