Sunday, 26 April 2015

दोहरे मापदंड!

ट्विटर स्वयं में एक दर्पण है. पिछले एक वर्ष में, समाज के कुछ ऐसे तत्वों से परिचय करवा गया जिस "श्रेणी विशेष" की उपस्थिति मात्र से मैं पूर्णतः अनभिज्ञ थी. कुछ ऐसे ही मनोभावों की पृष्ठ भूमि में जब आज कहीं यह पढ़ा, अनायास ही बड़ी तीव्र इच्छा हुई, आप सभी से शेयर करने की.


"शादी हुई ...
दोनों बहुत खुश थे!
स्टेज पर फोटो सेशन शुरू हुआ!

दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय साथ खड़ी अपनी साली से करवाया, "ये है मेरी साली, आधी घरवाली!"
दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !

दुल्हन मुस्कुराई और अपने देवर का परिचय अपनी सहेलियो से करवाया, "ये हैं मेरे देवर..आधे पति परमेश्वर!"

ये क्या हुआ..?
अविश्वसनीय!
अकल्पनीय!

भाई समान देवर के कान सुन्न हो गए.
पति बेहोश होते होते बचा.
दूल्हे, दूल्हे के दोस्तों, रिश्तेदारों सहित सबके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी.

 लक्ष्मण रेखा नाम का एक गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर फूट गया.

स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन लाईट भक्क से फ्यूज़ हो गयी.
थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस तेज़ी से सड़कों पर भागती जा रही थी.
जिसमे दो स्ट्रेचर थे!
एक स्ट्रेचर पर भारतीय संस्कृति कोमा में पड़ी थी...शायद उसे हार्ट अटैक पड़ गया था!
दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद घायल अवस्था में पड़ा था. उसे किसी ने सर पर गहरी चोट मारी थी!

ये व्यंग उस ख़ास पुरुष वर्ग के लिए है जो खुद तो अश्लील व्यंग करना पसंद करते हैं पर जहाँ महिलाओं कि बात आती हैं वहाँ संस्कृति कि दुहाई देते फिरते हैं!"

इस उपाख्यान के माध्यम से मैं ध्यान आकर्षित करवाना चाहूंगी उस मानसिकता की ओर, जहाँ कुछ पुरूष, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूर्ण समुपयोजन, महिलाओं के प्रति ही करते हैं. आम बोलचाल की भाषा में हम इसे exploitation of freedom of speech and expression कहते हैं.

जहाँ तक उस "श्रेणी विशेष " का प्रश्न है, जल्द ही विस्तृत विवरण प्रस्तुत होगा। यहीं।